श्रीजगन्नाथ जी का दर्शन करने वाले का नही होता पुनर्जन्म-प्रो० गंगाधर पण्डा

‘प्रयाग बुद्धिजीवी मंच’ एवं ‘श्रीकृष्ण सुधर्मा सभा’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘शाश्वत आनन्द व्याख्यान माला’ के अंतर्गत श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में ‘श्रीजगन्नाथ एवं वैष्णव परंपरा’ विषयक आनलाइन व्याख्यान संपन्न

प्रयागराज। ‘प्रयाग बुद्धिजीवी मंच’ एवं ‘श्रीकृष्ण सुधर्मा सभा’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘शाश्वत आनन्द व्याख्यान माला’ के अंतर्गत श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में प्रो० गंगाधर पण्डा, कुलपति, नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय, जमशेदपुर, झारखंड का जगन्नाथ एवं वैष्णव परंपरा विषय पर प्रो० पी० के० साहू, पूर्व कुलपति, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज की अध्यक्षता में ऑनलाइन व्याख्यान संपन्न हुआ।
मुख्य वक्ता प्रो० गंगाधर पण्डा ने कहा कि श्रीजगन्नाथ धाम भारत के चार पवित्र धामों में एक है, जहां मंदिर के गर्भगृह में श्री कृष्ण, बलभद्र (बलराम) एवं सुभद्रा की मूर्ति विद्यमान है। देवताओं के शिल्पकार भगवान श्री विश्वकर्मा ने नीलमाधव की छवि को काष्ठ में श्रीजगन्नाथ जी के रूप में मूर्तरूप प्रदान किया। भगवान श्रीजगन्नाथ को विष्णु का अवतार माना जाता है। श्रीजगन्नाथ जी पौराणिक देव होने के साथ ही वैदिक देव भी हैं। जगन्नाथ का अर्थ है जगत् न अथ। उन्होंने कहा कि जो श्रीजगन्नाथ जी का दर्शन कर लेता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता। उन्होंने श्रीजगन्नाथ जी की कुछ प्रसिद्ध कथाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि ऋग्वेद एवं श्वेताश्वतर उपनिषद में भी उनका प्रसंग प्राप्त होता है। भारत में श्रीजगन्नाथ जी का ही एकमात्र मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण को उनके भाई बहनों के साथ पूजा करने की परंपरा है। वे एक सुरक्षात्मक और उदार भगवान हैं, इसी कारण वे भक्तों को अत्यन्त प्रिय हैं।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो० पी० के० साहू, पूर्व कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने भगवान श्रीजगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की महत्ता एवं भगवान श्रीजगन्नाथ के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला।
ऑनलाइन जुड़े हुए सभी सदस्यों एवं वक्ताओं का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन प्रयाग बुद्धिजीवी मंच के संयोजक प्रो० उमाकान्त यादव, पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, धन्यवाद ज्ञापन श्रीकृष्ण सुधर्मा सभा के महासचिव इंजी० एम० सी० एस० यादव तथा कार्यक्रम का संचालन प्रयाग बुद्धिजीवी मंच की सचिव डॉ० शारदा पाठक ने किया। मंगलाचरण श्रीकृष्ण सुधर्मा सभा की सक्रिय सदस्य डॉ० निहारिका झा तथा तकनीकी सहयोग डॉ० सौम्या कृष्ण, असिस्टेंट प्रोफेसर, एस० एस० खन्ना गर्ल्स पी० जी० कॉलेज, प्रयागराज ने किया।
इस ऑनलाइन व्याख्यान में प्रो० अयोध्या दास श्रीवैष्णव, प्रो० डी० एन० यादव, प्रो० छाया रानी, प्रो० मंशाराम वर्मा, प्रो० जे० एन० पाल, प्रो० आर० सी० यादव, प्रो० राम फेर, डॉ धर्मेंद्र कुमार गुप्ता, डॉ वंदना द्विवेदी, डॉ प्रतिभा आर्या, डॉ रीना सिंह ,डॉ० नीरू कुंज, डॉ संदीप कुमार मिश्रा, डॉ यशोवर्धन पांडेय, इंजी० वकील सिंह यादव, इंजी० तेज बहादुर यादव, डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा, डॉ रंजीत कुमार वर्मा, डॉ सुमन यादव, डॉ शुभ्रा सिंह, डॉ शिवाजी यादव, डॉ लवलेश कुमार यादव, डॉ राजकुमार सिंह ,डॉ रामदत्त मिश्रा, डॉ देशराज यादव , डॉ चंद्रकान्त शुक्ला, डॉ अश्विनी देवी, डॉ जयश्री दास, डॉ गीता गुप्ता, डॉ शिवाकांत यादव, डॉ अमिता सिंह, डॉ बीनू सिंह, डॉ अदिति पांडेय, डॉ संगीता चौधरी, डॉ लक्ष्मी गुप्ता, डॉ सरला शर्मा, डॉ लेखराम दन्नाना, डॉ संत प्रकाश तिवारी, डॉ कनक लता दुबे, डॉ ओम प्रकाश लाल श्रीवास्तव, प्रो० सत्यदेव, प्रो० आर० एस० यादव, डॉ एस० के० यादव, डॉ कल्पना कुमारी, डॉ नंदिनी रघुवंशी, डॉ० प्रमोद कुमार मिश्र, डॉ० संदीप यादव, डॉ विवेक कृष्ण,डॉ० देव कुमार यादव, डॉ अजय कुमार यादव, इंजी० जावेद अख्तर खान, इंजी० जयराम लाल वर्मा, प्रो० विमलेश सिंह यादव, डॉ अर्चना शर्मा, डॉ मीरा सिंह, डॉ अर्चना सिंह ,डॉ संदीप यादव, डॉ जिलेदार वर्मा, डॉ रश्मि यादव, डॉ नवीन पाठक ,डॉ० उपासना पाण्डे, डॉ राजेश कुमार यादव, डॉ आशीष कुमार, डॉ रेखा मल्ल, डॉ० उमा मिश्रा, डॉ० आशा कृष्ण, डॉ उष्मा यादव, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ अंबिका सिद्धार्थ, डॉ माधुरी यादव, डॉ जयंती सिंह, डॉ संजय कुमार यादव, डॉ अंजलि उपाध्याय, डॉ सपना चौधरी, डॉ कप्तान सिंह यादव, डॉ अतुल कुमार सिंह, डॉ तरुण शर्मा, डॉ कपिल कौशिक, डॉ छाया पाण्डेय, डॉ उमा मौर्या, डॉ आर० के० आनन्द, डॉ उमेश तिवारी, डॉ अंकिता पाण्डेय, डॉ गीतांजलि पाण्डेय, डॉ अरविंद कुमार सिंह, डॉ अंशु सिंह, गगन यादव, नियोगिता मिश्रा, सतलेश यादव, महेंद्र पाल, शिव शंकर यादव, अजय यादव, दिनेश सरोज, पूनम यादव, राहुल कृष्ण, आलोक कुमार, रत्नेश कुमार यादव, अदिति यादव एवं वर्तिका मिश्रा आदि शामिल रहे।